बैंकिंग सेक्टर में भ्रष्टाचार: हर 4 घंटे में पकड़ा जाता है 1 बैंककर्मी

चेतन कुमार, बेंगलुरु
अरबपति जूलर नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने पंजाब नैशनल बैंक के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर 11,300 करोड़ रुपये के घोटाले को अंजाम दे डाला। बैंकिंग सेक्टर में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी फैल चुकी हैं, यह रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है। केंद्रीय बैंक के मुताबिक 1 जनवरी 2015 से 31 मार्च 2017 के बीच सरकारी बैंकों के 5,200 कर्मचारियों को धोखाधड़ी के लिए दंडित किया गया।

आरबीआई के दस्तावेजों में कहा गया है, ‘इन कर्मचारियों को दोषी पाया गया है और पेनल्टी लगाई गई है, जिसमें सेवा से बर्खास्तगी भी शामिल है।’ केंद्रीय बैंक अप्रैल 2017 के बाद के आंकड़े जुटा रहा है।

PNB: जांच के घेरे में दूसरे बैंकों के भी अधिकारी

धोखाधड़ी में सबसे अधिक 1538 कर्मचारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के शामिल पाए गए। इस मामले में दूसरा स्थान इंडियन ओवरसीज बैंक को मिला है, जबकि सेंट्रल बैंक तीसरे स्थान पर हैं। इनके दोषी कर्मचारियों की संख्या क्रमशछ 449 और 406 है।

इसी अवधि में पंजाब नैशनल बैंक के 184 कर्मचारियों को अवैध गतिविधियों में शामिल पाया गया। यह आंकड़ा इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पीएनबी घोटाले के बाद कई एजेंसियां इसके तह में जा रही हैं।

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आरबीआई भी इसको लेकर चिंतित है और ऐसे मामलों को रोकने के लिए सर्कुलर जारी करता है। एक मल्टिनैशनल बैंक के सीनियर मैनेजर बिकाश गंगाधरण कहते हैं, ‘बैंकिग में कई चरणों में जांच की जरूरत होती है। लेकिन भारतीय बैंकिंग सिस्टम बहुत अधिक वर्गीकृत है। यदि मैनेजर कुछ करने के लिए कहता है तो, कोई नहीं कहता है कि इसे दोबारा देखने की जरूरत है, जोकि काम करने का बहुत रिस्की तरीका है।’

हालांकि आरबीआई के डेटा में यह नहीं बताया गया है कि धोखेबाज कर्मचारियों की वजह से बैंकों को कितना नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन आरबीआई के ही अन्य डेटा में बताया गया है कि 1 अप्रैल 2013 से 31 दिसंबर 2016 के बीच सरकारी और प्राइवेट बैकों में 17,504 फ्रॉड केस में 66,066 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

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