फर्जी SMS टिप्स का चारा लपक ऐसे जंक स्टॉक के जाल में फंस रहे रिटेल इन्वेस्टर्स

बाबर जैदी, नई दिल्ली
आपके फोन की एसएमएस वाली घंटी बजती है। मैसेज किसी स्टॉक ब्रोकर का होता है। उसमें बताया जाता है कि टॉप फंड्स और फाइनैंशल इंस्टिट्यूशंस एक नॉन बैंकिंग फाइनैंस कंपनी के शेयरों में जमकर पैसा लगा रहे हैं। शेयर नाटकीय तरीके से 3-4 रुपये के लेवल से बढ़ता हुआ 13 रुपये पर आ गया है। ब्रोकर का दावा है कि शेयर यहां से बस ऊपर ही ऊपर जाएगा। जबरदस्त रिटर्न हासिल होने का यह सपना जमकर बेचा जा रहा है, जबकि असलियत यह है कि उक्त कंपनी का शेयर 25 जनवरी के एसएमएस टिप्स के बाद 40% से ज्यादा गिर चुका है।

जिन लोगों के पास डीमैट अकाउंट होता है और जो शेयरों की खरीद फरोख्त करते रहते हैं, उनको ऐसे SMS आते रहते हैं। हमने पिछले 8-9 महीनों में एसएमएस के जरिए मिले ऐसे 15 स्टॉक टिप्स की पड़ताल की है। इनमें से ज्यादातर शेयर तब से 50-60% टूट चुके हैं, जबकि कुछ तो धराशायी हो चुके हैं। टिप्स आने के बाद विजी फाइनैंस के शेयर सिर्फ 40% गिरे जबकि ई-डायनेमिक्स सॉल्यूशंस और स्टील एक्सचेंज ऑफ इंडिया का शेयर तो SMS टिप्स के बाद से 75% से भी ज्यादा गिर चुका है।

ये शेयर तब मुंह के बल गिरे जब स्टॉक मार्केट तेजी के रथ पर सवार था। बजट के बाद हुए करेक्शन के बावजूद निफ्टी और सेंसेक्स जून-जुलाई 2017 के लेवल से 10-12% ऊपर है। प्लेन इंडेक्स फंड में तब लगाए 100 रुपये पर निवेशकों को अब 110 रुपये और 112 रुपये तक मिल रहा है जबकि SMS टिप्स वाले शेयर 60-70% तक टूट चुके हैं। बकफास्ट फाइनैंशल एडवाइजरी सर्विसेज के को-प्रमोटर विजय मंत्री ने कहा, ‘जिन इनवेस्टर्स को ऐसी टिप्स पर नुकसान हुआ है, उन्हें म्यूचुअल फंड में शिफ्ट हो जाना चाहिए। जंक स्टॉक में फंसे रहने के बजाय यहां आने से कुछ नुकसान की भरपाई जरूर हो जाएगी।’ एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयरों से पैसा बनाने को लेकर गंभीर निवेशक SMS टिप्स को नजरअंदाज करते हैं क्योंकि जंक स्टॉक के मुकाबले भले ही कई गुना महंगे ब्लूचिप हर हाल में बेहतर होते हैं।

असल में बेइमान ऑपरेटरों का गिरोह स्टॉकब्रोकर्स और ट्रेडिंग पोर्टल से क्लाइंट्स के कॉन्टैक्ट डिटेल हासिल करता है और SMS, सोशल मीडिया के जरिए टिप्स की बौछार करता है। इनकी तरफ से भेजे गए 10,000 SMS पर 5 पर्सेंट लोग भी चारा लपककर पैसा लगा देते हैं तो उनके पास 500 निवेशक हो जाते हैं जिनसे खूब माल बना सकते हैं।

ऐसे चलता है स्टॉक का खेल

  • ऑपरेटर्स का ग्रुप किसी ऐसी छोटी कंपनी की पहचान करता है जिसका मार्केट कैप बहुत कम है।
  • कंपनी के शेयर्स को बड़ी तादाद में खरीद लेते हैं और आपस में ही ट्रेडिंग शुरू कर देते हैं जिससे लगे कि स्टॉक हाई डिमांड में है।
  • ये स्टॉक के बारे में पॉजिटिव मगर झूठी खबरें फैलाते हैं। निवेशकों को मेसेज और ईमेल मिलने लगते हैं कि ये स्टॉक और बढ़ने वाले हैं।
  • शेयर के दाम बढ़ने की कई वजहें बताई जाती हैं – मसलन, मर्जर, टेकओवर, बिग ऑर्डर और नीतियों में बदलाव।
  • कुछ मामलों में कंपनी अपने अकाउंट्स में हेराफेरी करके आमदनी में भारी इजाफा भी दिखा सकती है।
  • एक बार टारगेट प्राइस तक पहुंच गए तो ऑपरेटर्स छोटे निवेशकों पर इन शेयरों को डंप करने लगते हैं। धीरे-धीरे स्टॉक प्राइस गिरकर पहले के स्तर पर पहुंच जाते हैं।

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