पंजाब में ‘गायब’ स्टॉक के कारण बढ़ सकते हैं गेहूं के दाम

माधवी सैली, नई दिल्ली अनाज खरीदने वाली कंपनियों और ट्रेडर्स का कहना है कि अगर पंजाब में अनाज का स्टॉक गायब होने की रिपोर्ट ठीक निकली तो इससे डॉमेस्टिक और इंटरनैशनल मार्केट्स में गेहूं की कीमत बढ़ सकती है। दुनिया में भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा प्रड्यूसर और कंज्यूमर है। पिछले कुछ समय से पंजाब के गोदामों से 50-60 लाख टन गेहूं के गायब होने से जुड़ी रिपोर्ट्स आ रही हैं। राज्य सरकार का कहना है कि पूरा स्टॉक खरीदा गया है और वह खातों में दर्ज है, लेकिन इससे ट्रेडर्स की चिंताएं कम नहीं हुई हैं।
गुड़गांव से ऑपरेट करने वाली एक ग्लोबल ट्रेडिंग कंपनी के हेड ने कहा, ‘अगर पंजाब के गोदामों से स्टॉक गायब होने की रिपोर्ट सच साबित होती है तो स्थिति काफी चिंताजनक हो सकती है। एक अप्रैल को मौजूदा स्टॉक 1.48 करोड़ टन का था। अगर 60 लाख टन गायब होने की बात सच है तो वास्तविक शुरुआती स्टॉक 80.8 लाख टन का होगा, जो 10 वर्ष का निचला स्तर हो सकता है।’
ईटी ने इस बारे में कुछ ट्रेडर्स से बात की और उनका कहना था कि सरकार को फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के स्ट्रक्चर में बदलाव कर उसे अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस स्थिति से उन्हें 2003 की याद आ रही है, जब FCI ने एक दिन में 50 लाख टन गेहूं का स्टॉक अजस्टमेंट किया था, जिसके बाद सरकार को गेहूं के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाना पड़ा था और कीमतें बढ़ गई थीं।
दिल्ली के एक बड़े अनाज व्यापारी ने बताया, ‘लगातार 2 वर्ष सूखा पड़ने और रबी के उत्पादन में 2015-16 में 80-90 लाख टन की कमी होने के अनुमान से अभी गेहूं की सप्लाई को लेकर काफी चिंता है। कम उत्पादन और गेहूं का स्टॉक गायब होने की वजह से प्राइवेट सेक्टर और सरकार को जल्द ही गेहूं का इम्पोर्ट करना पड़ सकता है। 25 पर्सेंट की इम्पोर्ट ड्यूटी को हटाने का दबाव बनेगा और लोकल मार्केट में कीमतों में तेजी आएगी। भारत की ओर से गेहूं का इंपोर्ट करने की अटकल से इंटरनैशनल प्राइसेज में और तेजी आएगी।’ अभी फ्रांस की गेहूं 174 डॉलर प्रति टन और रूस की गेहूं 182 डॉलर प्रति टन की कीमत पर बिक रही है।
हालांकि, एक ट्रेड एनालिस्ट ने कहा कि पंजाब सरकार और FCI के स्पष्टीकरण के अनुसार यह मामला कई वर्षों से लंबित अकाउंट्स में बदलाव का दिख रहा है। इसकी वजह 2003-04 के बाद अनाज खरीदने के लिए मिनिस्ट्री की ओर से राज्यों को दिए जाने वाले क्रेडिट के ‘सिद्धांतों’ में परिवर्तन है। अगर ये सिद्धांत अकाउंटिंग में अजस्टमेंट से संबंधित हैं तो स्टॉक उपलब्ध न होने का अनुमान लगाना गलत होगा। ऐसी स्थिति अन्य राज्यों के साथ भी हो सकती है।

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