दुनिया का ‘चमकता सितारा’ है भारत: IMF

ईटी ब्यूरो, नई दिल्ली

विदेशी निवेशक भले ही फिक्रमंद हों, लेकिन इंटरनैशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) अभी भी भारत को ‘ब्राइट स्पॉट’ मानता है। उसका कहना है कि मीडियम टर्म में दुनिया के बड़े देशों के बीच भारत की इकनॉमिक ग्रोथ सबसे तेज रहेगी। आईएमएफ ने गुरुवार को एशिया-पैसिफिक रीजनल आउटलुक रिपोर्ट जारी की। उसमें मोदी सरकार के रिफॉर्म की पहल को भी सराहा गया है।

रिपोर्ट में लिखा गया है, ‘मई 2014 में लोकसभा चुनाव में जबरदस्त जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कई इकनॉमिक रिफॉर्म्स किए हैं। इनमें डीजल प्राइस को डीरेग्युलेट करना और नैचरल गैस की कीमतों में बढ़ोतरी, लेबर मार्केट्स को लेकर ज्यादा आजादी, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को लागू करने की पहल, फाइनैंशल इनक्लूजन बढ़ाने की कोशिश और कई अहम सेक्टर्स में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट लिमिट बढ़ाने जैसे कदम शामिल हैं।’ रिपोर्ट के मुताबिक, इन कदमों से इनवेस्टर सेंटीमेंट मजबूत हुआ है।

आईएमएफ का कहना है कि 2015 और 2016 में भारत की इकॉनमी 7.5 पर्सेंट की रफ्तार से बढ़ सकती है। उसका दावा है कि इन दो वर्षों में चीन की ग्रोथ इससे कम रहेगी। इंटरनैशनल मॉनेटरी फंड ने कहा, ‘भारत एशिया का नया चमकता सितारा है। भारत की इकॉनमी को क्रूड ऑयल की कम कीमत और हालिया रिफॉर्म्स का फायदा मिलेगा।’ उसने यह भी कहा है कि रिफॉर्म को जल्द लागू करने से भारत पर इनवेस्टर्स का भरोसा मजबूत होगा और इससे पोटेंशल ग्रोथ बढ़ेगी। आईएमएफ के मुताबिक, 2014 में भारतीय इकॉनमी 7.2 पर्सेंट की रफ्तार से बढ़ी थी।

उसने कहा है कि 2011-13 के इकनॉमिक स्लोडाउन के बाद भारत ने शानदार वापसी की है। इसके लिए पॉलिसी रिफॉर्म्स किए गए। राजनीतिक अस्थिरता खत्म होने से भी इकनॉमिक रिकवरी में मदद मिली है। यही नहीं, भारत के खिलाफ जा रहे कई डोमेस्टिक और ग्लोबल फैक्टर्स भी खत्म हो गए हैं। इंटरनैशनल मॉनेटरी फंड के मुताबिक, ‘इन उपायों के चलते भारत आज ग्लोबल इकॉनमी का चमकता सितारा बन गया है।’ हालांकि, उसने ग्लोबल फाइनैंशल मार्केट्स में खलबली मचने और सुस्त वैश्विक ग्रोथ को लेकर आगाह भी किया है।

आईएमएफ ने यह भी कहा है कि भारत के मामले में पॉलिसी रिफॉर्म्स को लागू करने का रिस्क बना हुआ है। उसके मुताबिक, 2014 में भारत में काफी विदेशी निवेश हुआ। फाइनैंशल ईयर 2015 के अंत तक यह बढ़कर 344 अरब डॉलर हो गया था, जबकि 2013 में यह 290 अरब डॉलर था।

आईएमएफ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ‘दुनिया भर में इक्विटी मार्केट इंडिकेटर्स ठीक लग रहे हैं। कॉरपोरेट प्रॉफिट ग्रोथ बढ़ने वाली है, जिससे शेयरों के अधिक वैल्यूएशन को सपोर्ट मिल रहा है। हालांकि, यह बात भारत पर लागू नहीं होती।’ यह रिपोर्ट भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट शुरू होने से पहले तैयार की गई थी। भारत में कॉरपोरेट प्रॉफिट ग्रोथ सुस्त बने रहने के चलते बेंचमार्क इंडेक्स पीक लेवल से 10 पर्सेंट गिर चुके हैं।

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