दिल्ली विश्वविद्यालय के पास क्या 1978 में कंप्यूटर थे: आप
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आप नेता ने कहा, ‘इसी तरह मोदी की डिग्री में विश्वविद्यालय का लोगो आधुनिक फॉन्ट में छपा है, जबकि असली डिग्री का फॉन्ट साधारण है। यह दर्शाता है कि डिग्री फर्जी है।’ आप ने डिग्री के असली होने और इसका सत्यापन कर लिए जाने के विश्वविद्यालय के दावे का भी विरोध किया।
महाराष्ट्र स्थित सामाजिक कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा ‘सूचना के अधिकार’ के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय से मिले जवाब का हवाला देते हुए आशुतोष ने कहा, ‘विश्वविद्यालय ने तब कहा था कि वह तीन-चार दशक पुराने रिकार्ड नहीं रखता।’ उन्होंने कहा, ‘मंगलवार को विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने दावा किया कि उन लोगों ने दस्तावेजों को सत्यापित किया है और मोदी की डिग्री असली है। जबकि गलगली ने वर्ष 2015 में सूचना के अधिकार(आरटीआई) के जरिए वर्ष 1978 में स्नातक बने सभी की एक सूची मांगी थी, तो दिल्ली विश्वविद्यालय ने जवाब में कहा था कि वह तीन-चार दशक पुराने रिकॉर्ड नहीं रखता।’
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आशुतोष ने कहा, ‘विश्वविद्यालय ने या तो आरटीआई के जवाब में झूठ बोला या मंगलवार को झूठ बोला। क्योंकि जब कोई रिकॉर्ड ही नहीं है तो किस तरह से उसका सत्यापन किया गया?’ उन्होंने विश्वविद्यालय से केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश का पालन करने के लिए कहा, जिसने मोदी की डिग्री को सार्वजनिक करने को कहा है।
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