तेल से घट रही कमाई, टैक्स बढ़ाकर खजाना भरेगा सऊदी अरब

रियाद

सऊदी अरब अपनी स्थापना के बाद से पहली बार इतने बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। तेल की गिरती कीमतों से वह निपटने में असफल रहा है और अब वह बजट घाटे को कम करने के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाश रहा है। सऊदी अरब ने सरकारी घाटे को कम करने का एक और तरीका निकालते हुए सब्सिडी में कटौती और लग्जरी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने का फैसला लिया है। सऊदी सरकार को उम्मीद है कि इससे उसे 100 अरब डॉलर यानी करीब 6,600 अरब रुपये की आय होगी।

ब्लूमबर्ग को पिछले सप्ताह दिए इंटरव्यू में सऊदी अरब के डेप्युटी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि सरकार को 2020 तक इससे हर साल करीब 100 अरब डॉलर की आय होने की उम्मीद है। सऊदी सरकार यदि यह कमाई करती है तो गैर तेल आय में तीन गुना इजाफा होगा। इससे उसका बजट भी संतुलित होगा और तेल पर निर्भरता कम होने से लंबे वक्त में उसे फायदा होगा। प्रिंस ने कहा कि यह बड़ी योजनाओं का पैकेज है, जिसमें रेवेन्यू जनरेटिंग सेक्टर्स को पुनर्गठित किया जाएगा। पिछले साल सऊदी सरकार ने गैर तेल आय में 35 पर्सेंट तक की वृद्धि के साथ 44 अरब डॉलर तक की कमाई थी।

आठ दशक पहले स्थापित हुए सऊदी अरब ने अब तक पेट्रोडॉलर्स के जरिए ही तरक्की की है, लेकिन अब वह अपनी इकॉनमी में बड़ा बदलाव लाएगा। प्रिंस ने कहा कि सरकार सब्सिडी के पुनर्गठन, वैट लगाने, एनर्जी और शुगरी ड्रिंक्स और लग्जरी आइट्म्स पर टैक्स बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसके अलावा सऊदी सरकार बाहर से आने वाले लोगों पर ग्रीन कार्ड टैक्स भी लगा सकती है। यह व्यवस्था फिलहाल अमेरिका में लागू है।

गौरतलब है कि सऊदी प्रिंस ने देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी को बेचकर भी एक फंड तैयार करने की बात कही थी। इस फंड को विदेशों में निवेश करने पर खर्च किया जाएगा। सऊदी सरकार को उम्मीद है कि वैट टैक्स लगाने से उसे 2020 तक 10 अरब डॉलर की आय होगी। इसके अलावा बाहरी कामगारों पर ग्रीन कार्ड व्यवस्था लागू करने से भी 10 अरब डॉलर तक की ही आय होगी।

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