तीन डॉलर लेकर आए भारतीय विज्ञानी ने दान में दिए 74 करोड़

पश्चिम बंगाल में जन्मे भौमिक गरीबी से संघर्ष कर कामयाब हुए हैं। उन्होंने लेजर तकनीक के विकास में अहम भूमिका निभाई है।

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