ट्राई को दूरसंचार विभाग की स्पेक्ट्रम शुल्क संहिता में दिखीं खामियां, समान दर पर जोर

नयी दिल्ली, 12 जुलाई :: दूरसंचार नियामक ट्राई ने आज स्पेक्ट्रम प्रयोग पर शुल्क जुटाने की सरकार की मौजूदा प्रक्रिया में खामियां बताते हुए सभी मोबाइल सेवा प्रदाताओं से एक समान स्पेक्ट्रम शुल्क लेने के अपने सुझाव को दोहराया।

दूरसंचार विभाग :डॉट: द्वारा इस संबंध में मांगी गई राय का जवाब देते हुए ट्राई ने कहा, इस मामले पर विचार के बारे में बात करते समय दूरसंचार विभाग को कानून के मुताबिक एक सरल, पारदर्शी और मूल्यानुसार समान स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क :एसयूसी: की ओर बढ़ने के लिये सभी संभव कदमों के बारे में विचार करना चाहिये।

ट्राई ने कहा कि मौजूदा भारित औसत आधार वाले फार्मूला का सरकार के राजस्व पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ सकता है।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने मेगा स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिये नियमों को मंजूरी दे दी। इसमें 5.66 लाख करोड़ रपये के संभावित राजस्व वाले स्पेक्ट्रम की नीलामी की जानी है। हालांकि इसमें अंतर मंत्रालयी समिति दूरसंचार आयोग की सिफारिश वाले स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क :एसयूसी: को मंजूरी नहीं दी गई। मंत्रिमंडल ने इस मामले में नियमों को मंजूरी देने से पहले दूरसंचार मंत्रालय से ट्राई के विचार मांगने को कहा है।

ट्राई के अनुसार सरकार स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क की गणना करने के मामले में किसी दूरसंचार आपरेटर के पास उपलब्ध स्पेक्ट्रम की मात्रा पर ही विचार करती है लेकिन ऐसा करने से वांछित मूल्य प्राप्त नहीं हो सकता है जैसा कि इस शुल्क की अवधारणा के समय इस समझा गया।

ट्राई ने डॉट को सुझाव दिया है कि उसे किसी स्पेक्ट्रम बैंड द्वारा दिये जाने वाले लाभ को भी संग्यान में लेना चाहिये। साथ ही उसके बोली मूल्य को भी एसयूसी गणना में अनुमानित मूल्य के तौर पर लिया जा सकता है। हालांकि, डॉट समिति ने कहा कि किसी एक बैंड से कोई दूरसंचार आपरेटर कितना राजस्व अर्जित कर रहा है इसे अलग अलग गणना करना संभाव नहीं है क्योंकि 3जी और 4जी मोबाइल सेवायें देने के लिये विभिन्न स्पेक्ट्रम बैंड को जोड़ा जाता है।

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