ट्रक ड्राइवरों से जानें ई-वे बिल से कितनी सुधरी है व्यवस्था

दीपक दास, नई दिल्ली
रात के करीब 10 बजे थे और राजू ने अपने सारे डॉक्युमेंट्स और ई-वे बिल चेक किए और फिर स्टीरियो चला दिया। किशोर कुमार के ‘जय जय शिव शंकर’ गाने से सफर शुरू होता है और मानेसर से ऑटो पार्ट्स लेकर हरियाणा के रजिस्ट्रेशन नंबर का ट्रक दक्षिण भारत के शहर हैदराबाद के लिए रवाना हो जाता है। राजू कहते हैं, ‘नैशनल हाईवे 8 (मुंबई से दिल्ली) पर कारों की भीड़ से बचने के लिए यह अच्छा रहता है कि रात में देरी से सफर की शुरुआत की जाए।’

यह पूछने पर कि क्या रात में अथॉरिटीज की ओर से परेशान नहीं किया जाता? मूलत: असम के रहने वाले लेकिन अच्छी पंजाबी बोलने वाले राजू ने कहा कि इस साल की शुरुआत में लागू हुई ई-वे बिल की व्यवस्था से अब बहुत ही कम चेकिंग के लिए रुकना होता है। उन्होंने कहा, ‘इससे पहले हर बॉर्डर पर कम से कम तीन घंटे का वक्त लगता था।’

राजू ने कहा, ‘पहले यह समस्या थी कि आपको पता ही नहीं था कि सेल्स टैक्स अधिकारी आपके डॉक्युमेंट्स को पास करने में कितनी देर लगाएंगे। लेकिन, अब यदि आपके पास जरूरी कागजात होते हैं तो फिर परेशान होने की जरूरत नहीं है। पिछली बार मुंबई से लौटते हुए महाराष्ट्र के सेल्स टैक्स अधिकारी ई-वे बिल देखना चाहते थे। उन्होंने डॉक्युमेंट्स चेक किए और अपने मोबाइल फोन से कुछ डिटेल्स देखीं और फिर हमें सिर्फ 5 मिनट में ही भेज दिया।’

फिलहाल लॉजिस्टिक्स वाले ज्यादातर ट्रकों में फास्टैग लगा होता है, लेकिन जिसके जरिए टोल चुकाया जाता है। लेकिन, काफी सुधार के बावजूद राजू का कहना है कि अब भी शहरों की ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी जरूर कई बार समस्याएं खड़ी कर देते हैं। करीब एक घंटे के सफऱ में ट्रक हरियाणा और राजस्थान के बॉर्डर शाहजहांपुर आ पहुंचता है, राजू को सामने कुछ लोग वर्दी में नजर आते हैं। ये लोग राज्य के परिवहन विभाग के थे, जो रजिस्ट्रेशन पेपर्स और ट्रांसपोर्ट परमिट चेक कर रहे थे। इनमें से एक व्यक्ति डंडा लेकर खड़ा था, जो ट्रकों को रुकवा रहा था।

राजू कहते हैं, ‘मुझे या किसी और को क्यों रुकना चाहिए? वह हमें सिर्फ पैसे निकालने के लिए रोकते हैं?’ राजू कहते हैं कि यदि हम इस तरह पैसे देना शुरू करेंगे तो हैदराबाद पहुंचने तक हमारे पास कुछ नहीं रह जाएगा। 50 किलोमीटर चलने के बाद स्थानीय पुलिस की ओर से एक और ब्लॉकेड मिलता है। यहां कारों को चेक किया जाता है, लेकिन ट्रक वाले निकल जाते हैं। लेकिन, जयपुर बाईपास से कुछ किलोमीटर पहले ही ‘फ्लाइंग स्क्वैड’ वाले कुछ और ट्रकों को रुकवा लेते हैं। राजू भी कुछ दूरी पर ट्रक रोक देते हैं, लेकिन अधिकारी उसे जाने के लिए कहते हैं और अजमेर बाईपास तक कोई दिक्कत नहीं होती।

अन्य ट्रक वालों के भी ऐसे ही अनुभव हैं। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्टर ने दिल्ली से अलीगढ़ का भी ऐसे ही सफर किया। तीन दिन में उस गाड़ी को कोलकाता पहुंचना था। ड्राइवर सुनील कहते हैं कि इस रूट पर भी अब पहले जैसी समस्या नहीं है।

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