ट्रंप का ट्रैवल बैन: कैसे करेगा काम और किसपर होगा असर

वॉशिंगटन
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का ट्रैवल बैन बीते साल दिसंबर में प्रभाव में आया था। निचली अदालतों ने ट्रंप प्रशासन के फैसले को असंवैधानिक करार दिया था लेकिन हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रैवल बैन को जायज ठहराया था। हम आपको बताते हैं कि आखिर असल में यह बैन क्या है और इससे सबसे ज्यादा असर किसपर पड़ने वाला है…

यह बैन है क्या?

ट्रंप प्रशासन के ट्रैवल बैन के फैसले के तहत लीबिया, ईरान, सोमालिया, सीरिया, यमन जैसे मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के लिए प्रवासी और गैर-प्रवासी वीजा जारी करने की प्रक्रिया को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया गया है। ट्रैवल बैन के दायरे में उत्तर कोरिया और वेनेजुएला भी हैं।

कितने लोगों पर पड़ेगा असर?

प्रवासियों के हितों में काम करने वाले समूहों के मुताबिक, ट्रैवल बैन से जिन लोगों पर असर पड़ेगा उनकी संख्या 13 करोड़ 50 लाख से ज्यादा हो सकती है। इनमें से अधिकांश मुस्लिम बहुल देशों के नागरिक हैं और ईरान की सबसे ज्यादा 8 करोड़ जनसंख्या पर फैसले का असर पड़ेगा।

क्या यह मुस्लिमों पर बैन है, जैसा कि आलोचक कहते हैं?
कोर्ट के मुताबिक ऐसा नहीं। कुछ लोगों को छूट देने और उत्तर कोरिया-वेनेजुएला को इस फैसले के अंतर्गत लाने की वजह से इसे मुस्लिमों पर बैन नहीं माना जा सकता है। आलोचकों का कहना है कि उत्तर कोरिया और वेनेजुएला से अमेरिका आने वाले संभावित प्रवासियों की संख्या न के बराबर है। वेनेजुएला के मामले में, यह आदेश सिर्फ मुट्ठी भर अधिकारियों और उनके परिवारों तक लागू होता है। दूसरी तरफ उत्तर कोरिया बहुत कम नागरिकों को अमेरिका जाने की इजाजत देता है।

किस देश पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है?
जनसंख्या के आधार पर ईरान सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। भले ही ईरान और अमेरिका के बीच तनावपूर्ण रिश्तों का लंबा इतिहास रहा हो और ट्रंप प्रशासन के समय में यह और भी खराब हो गए हों, लेकिन हजारों ईरानी छात्र पढ़ाई के लिए अमेरिका जाते हैं। कुछ अनुमानों के मुताबिक करीब 10 लाख ईरानी-अमेरिकियों पर इसका असर पड़ेगा। इनमें से कुछ लोगों के रिश्तेदार ईरान में रहते हैं जो अब शायद अमेरिका मिलने आने में या यहां पलायन करने में सक्षम नहीं रहेंगे।

बैन देशों के छात्रों का क्या होगा?
आदेश में स्टूडेंट वीजा को लेकर कुछ छूट दी गई हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि छात्रों को वीजा पाने में आसानी होगी। वीजा पाने के लिए उन्हें बेहद कड़ी जांच प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा, जिससे उनके आवेदन को पूरा होने में महीनों का समय लग सकता है।

अगर उन्हें वीजा मिल भी जाए, तो भी छात्रों को सीमा पर रोककर पूछताछ की जा सकती है, अगर कस्टम्स और बॉर्डर सुरक्षा अफसरों को उनकी मंशा पर शक हो जाए।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के स्कूल ऑफ लॉ के डीन केविन आर. जॉनसन कहते हैं कि ईरान के मामले में संकेत मिले हैं कि कई स्टूडेंट्स जिन्होंने अमेरिका के ऑफर्स स्वीकार कर लिए हैं, वे अब कहीं और ठिकाना खोज रहे हैं।

नैशनल ईरानियन अमेरिकन काउंसिल की अध्यक्ष त्रिता पारसी ने कहा, ‘दिक्कत यह है कि स्टूडेंट्स यह जानते हैं कि अगर वे यहां पढ़ भी लें तो भी उन्हें अमेरिका में काम करने की इजाजत नहीं मिलेगी। इसलिए ज्यादातर स्टूडेंट्स यहां आना ही नहीं चाह रहे हैं।’

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