टल सकता है श्रमिकों के वेतन बढ़ाने का निर्णय

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

दिल्ली सरकार राजधानी के श्रमिकों के न्यूनतम वेतन बढ़ाने का निर्णय टाल सकती है। श्रमिकों का वेतन 40 प्रतिशत बढ़ाने का निर्णय लिया गया था और इसकी घोषणा 15 अगस्त को की जानी थी। लेकिन वेतन बढ़ाने का निर्णय का राजधानी के इंडस्ट्रियल लोगों व कारोबारियों ने खासा विरोध किया था। इसके अलावा फिक्की ने भी सरकार को चेताया था कि अगर इस निर्णय को लागू किया गया तो दिल्ली का कारोबार दूसरे राज्यों में शिफ्ट हो सकता है। जिसके बाद सरकार असमंजस की स्थिति में आ गई है।

श्रम मंत्री गोपाल राय ने कुछ दिन पूर्व दिल्ली के तीनों श्रेणी के श्रमिकों का वेतन 40 प्रतिशत बढ़ाने की घोषणा की थी। उनका दावा था कि इस निर्णय के बाद दिल्ली के श्रमिकों का वेतन पूरे देश में सबसे अधिक हो जाएगा। उनका कहना था कि गरीब वर्ग को सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए के लिए यह निर्णय लिया गया है ताकि वे देश की राजधानी में बिना किसी परेशानी के रह सकें। दिल्ली के श्रमिक वर्ग ने सरकार के इस निर्णय की खासी सराहना की थी लेकिन कारोबारी वर्ग असहज हो गया था और उसने चिंताएं जतानी शुरू कर दी थी।
सरकार के इस निर्णय के बाद हाल ही में राजधानी के इंडस्ट्रियल क्षेत्र से जुड़े लोगों व नामचीन कारोबारियों ने श्रम मंत्री गोपाल राय से मुलाकात की थी और अपनी परेशानियां उस तक पहुंचाई थी। इस मुलाकात का आयोजन आम आदमी पार्टी के ट्रेड विंग ने किया था। विंग के संयोजक बृजेश गोयल के अनुसार मंत्री को बताया गया था कि राजधानी में पहले से ही देश के अन्य राज्यों से न्यूनतम वेतन 30 प्रतिशत अधिक है और सरकार ने उसे 40 प्रतिशत और बढ़ाने का निर्णय लिया तो दूसरे राज्यों से 70 प्रतिशत अधिक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से कारोबारियों और श्रमिकों में तनाव बढ़ेगा, भ्रष्टाचार में भी इजाफा होग साथ ही कारोबारी अपना कारोबार दूसरे राज्यों में शिफ्ट करने की बाबत विचार करने लगेंगे।

सूत्र बताते हैं कि इसी मसले को लेकर देश के बड़े कारोबारी संगठन फिक्की ने भी सरकार को पत्र लिखकर यही चिंताएं जाहिर की और कहा था कि राजधानी का कारोबार दूसरे राज्यों में शिफ्ट होने से यहां का कारोबार तो घटेगा ही साथ ही सरकार के राजस्व में भी कमी आनी शुरू हो जाएगी। बताते हैं कि इस निर्णय के बाद श्रम मंत्री ने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तक कारोबारियों की आवाज पहुंचाई। इसके अलावा उन्होंने विभाग के आला अफसरों से भी विचार-विमर्श किया। जिसके बाद इस निर्णय को टालने पर मंथन हुआ। दिल्ली सरकार के सूत्रों के अनुसार इस बात की संभावना है कि सरकार 15 अगस्त को इसकी घोषणा न करे। बताया जा रहा है कि सरकार अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करेगी, जिसके बाद कुछ संशोधन के बाद इस निर्णय को लागू करने की कवायद की जा सकती है।

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