जीएसटी से बचने के लिए कैश में पेमेंट के लिए कह रहे कारोबारी

सिद्धार्थ, नई दिल्ली
जीएसटी का खाका तैयार करने और उसे लागू करने की प्रक्रिया से जुड़े रहे वित्त मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी पिछले दिनों उस वक्त हैरान रह गए, जब एक दुकानदार ने उन्हें कार्ड की बजाय कैश में पेमेंट करने के लिए कहा। वह दिल्ली के प्रसिद्ध खान मार्केट में खरीददारी के लिए पहुंचे थे। सामान लेने के बाद पेमेंट के लिए उन्होंने जब अपना कार्ड निकाला तो काउंटर पर मौजूद शख्स ने उन्हें कैश में पमेंट करने की सलाह दी ताकि टैक्स से बचा जा सके।

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कुछ ही दूरी पर स्थित लोकनायक भवन, जहां कई इलेक्ट्रिकल दुकानें हैं, के कारोबारी अकसर ग्राहकों को 28 पर्सेंट लेवी से बचने के लिए कैश में ही पेमेंट करने को कहते हैं। दिल्ली के इस हाईप्रोफाइल इलाके में स्थित फोटो स्टूडियोज और अन्य आउटलेट्स पर भी कैश में ही पेमेंट को कहा जाता है। यह मार्केट वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक से कुछ ही दूरी पर स्थित है। जीएसटी का ऐलान करते वक्त भले ही पीएम मोदी ने कहा था कि इस व्यवस्था के बाद कच्चा-पक्का बिल की व्यवस्था खत्म हो जाएगी, लेकिन जमीनी तौर पर बहुत कुछ बदला नहीं है।

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अधिकारियों का कहना है कि सिस्टम में कुछ खामियां हैं, जिन्हें दूर करना बाकी है। व्यापारियों की ओर से आलोचना किए जाने के बाद सरकार इसे सुधारने की कोशिशों में जुटी है। कारोबारियों ने इस प्रक्रिया को बोझिल करार दिया है। खान मार्केट में जिस अधिकारी को कैश में पेमेंट के लिए कहा गया, उनका कहना है कि एक बार सिस्टम में सुधार के बाद सरकार इससे बचने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।

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पिछले सप्ताह ही राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा था कि इस समस्या से तभी निपटा जा सकता है, जब अथॉरिटीज की ओर से जीएसटी रिटर्न 1, 2 और 3 का मिलान किया जा सके। अधिया ने कहा था, ‘दुर्भाग्य से जीएसटी के अनुपालन और अधिक समय की मांग के चलते हमने मैचिंग के काम को कुछ वक्त के लिए स्थगित कर दिया है। इसके अलावा फुलप्रूफ सिस्टम के लिए ई-वे बिल्स की व्यवस्था के लागू होने की जरूरत है। इससे हम सामानों की मूवमेंट की पूरी जानकारी रख सकेंगे। लोग इसके लिए तैयार नहीं हैं और बचना चाहते हैं। बहुत सारा सामान टैक्स चुकाए बिना ही ले जाया जाता है, लेकिन ई-वे बिल के चलते इन्हें रिपोर्ट किया जा सकेगा।’

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