चीन और उसके पड़ोसियों के बीच छिड़ चुकी है हथियारों की रेस

लंदन
इस समय पूरी दुनिया की नजरें नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव पर है। एक तरफ तानाशाह किम जोंग-उन अमेरिका को परमाणु हमले की धमकी दे रहे हैं तो वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि देश की सुरक्षा खतरे में पड़ी तो वह नॉर्थ कोरिया को पूरी तरह से तबाह कर देंगे। हालांकि इस संकट के अलावा भी एक मुद्दा है, जिस पर दुनिया का ध्यान कम जा रहा है। वह है- चीन और उसके पड़ोसियों के बीच बढ़ती हथियारों की होड़।

जापान के पास दुनिया के सबसे शक्तिशाली एयरक्राफ्ट कैरियर फोर्सेज में से एक है और बेड़े में 6 हैं। अमेरिका के पास 7 हैं लेकिन जापानी नौसेना को 2 और की डिलिवरी होनेवाली है, जिससे उसकी सामरिक ताकत बढ़ जाएगी। गौरतलब है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापानी कैरियर फ्लीट खस्ताहाल हो गया था। सम्राट हीरोहितो ने सरेंडर दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया था और इम्पीरियल नेवी को भंग कर दिया गया। बाद में जापान मेरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स का गठन किया गया लेकिन रक्षात्मक नियम काफी कड़े बनाए गए।

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बताया जा रहा है कि तोक्यो अब अपने कुछ इजुमो-क्लास के हेलिकॉप्टर कैरियर्स को एयरक्राफ्ट कैरियर्स में तब्दील करने की योजना बना रहा है। पिछले 80 वर्षों में यह इस तरह का पहला कदम है। इसके बाद जापान अमेरिकी F-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों एवं इस तरह के अन्य प्लेन्स का इस्तेमाल करने की क्षमता विकसित कर लेगा। इसमें वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग क्षमता शामिल है।

चीन ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पेइचिंग ने आरोप लगाया है कि एयरक्राफ्ट कैरियर्स और लड़ाकू विमान हासिल करना जापान के पोस्ट-वॉर संविधान के आर्टिकल 9 का उल्लंघन होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम जापान से अनुरोध करते हैं कि कुछ ऐसा करें जिससे पारस्परिक भरोसा बढ़े और क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा मिले।’

हालांकि जापान को नसीहत देने वाला चीन खुद अपनी नौसेना की ताकत बढ़ाने में जुटा है। पिछले साल जब रूस का कैरियर Admiral Kuznetsov सीरिया में अपनी सेवाएं पूरी कर लौट रहा था, उसी समय पूर्व सोवियत वेसल Varyag जो अब चीनी नेवी के Lianonig के नाम से जाना जाता है, दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास के लिए अपनी पहली यात्रा पर था। इस क्षेत्र में पहले से ही काफी तनाव है।

चीन के पड़ोसी देशों का आरोप है कि पेइचिंग दक्षिण चीन सागर (SCS) के पूरे क्षेत्र पर अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के लीडर किम के बीच जुबानी जंग पर ही दुनिया की नजरें हैं पर इस दौरान चीन शांतिपूर्ण तरीके से SCS में कई द्वीपों पर सैनिकों की मौजूदगी बढ़ा रहा है। वह कई द्वीपों का निर्माण भी कर रहा है।

विवादित क्षेत्र में उसके 7 द्वीपीय बेसों में से 3 एयरफील्ड्स हैं। वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटिजिक ऐंड इंटरनैशनल स्टडीज द्वारा इकट्ठा की गई तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि क्षेत्र में एयरक्राफ्ट और रेडार के हैंगर्स और युद्धपोत के लिए शेल्टर्स तैयार किए गए हैं। सबसे आधुनिक बेस 27 एकड़ में फैला है जहां अंडरग्राउंड बंकर्स समेत कई सैन्य निर्माण किए गए हैं।

जापान के कैरियर्स की खबर पर चीन ने भी ऐलान किया है कि वह दो साल के भीतर अपने दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर को लॉन्च करेगा। हाल ही में अमेरिकी नेवी ने पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त युद्धाभ्यास किया है, जिसमें अमेरिका के तीन बड़े पोत ने हिस्सा लिया। उधर, ट्रंप ने मनी न मिलने पर जापान और दक्षिण कोरिया में मौजूद अपने सैनिकों को वापस लेने की धमकी दी है। इससे पेइचिंग को राहत महसूस हो सकती है। चीन के आसपास के इलाके में समीकरण इसलिए भी गड़बड़ा रहा है क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने किसी भी देश को अपनी ओर से आश्वासन नहीं दिया है।

दो साल पहले फिलीपींस ने इंडस्ट्रियल ट्राइब्यूनल में दक्षिण चीन सागर के 85 फीसदी हिस्से पर पेइचिंग के दावे को चुनौती दी और जीत भी गया। हालांकि फिलीपींस के राष्ट्रपति अमेरिका से दूर और चीन के करीब जा रहे हैं। सिंगापुर भी पिछले साल चीन के कहने पर सैन्य सहयोग के लिए राजी हो गया। इसी समय जापान, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम और भारत (अभी 2 एयरक्राफ्ट कैरियर) भी रक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा कर रहे हैं। पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस नई दुनिया में हम अपने हितों की सुरक्षा के लिए बड़ी शक्तियों के ही भरोसे नहीं रह सकते हैं।

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