ग्रेटर नोएडा: हमेशा से ही शक के दायरे में रहे हैं अफ्रीकी छात्र

शिखा सलारिया, ग्रेटर नोएडा
पिछले दिनों अफ्रीकी छात्रों के खिलाफ हुए प्रदर्शन और मारपीट का मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। लोगों के जहन में सवाल है कि पिछले कई सालों से यहां रह रहे अफ्रीकी छात्रों के खिलाफ स्थिति अचानक इतनी ‘विस्फोटक’ कैसे हो गई? दरअसल, बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थानों के कैंपस ग्रेटर नोएडा में खुलने के साथ ही परी चौक और नॉलेज पार्क जैसे इलाकों में पिछले कुछ सालों में विदेशी छात्रों की संख्या काफी बढ़ी है। इन विदेशी छात्रों में बड़ी संख्या अफ्रीकियों की है। आज इस इलाके में 6,000 अफ्रीकी छात्र रहते हैं। छात्रों की संख्या बढ़ने के साथ ही यहां किराएदारी के मार्केट में भी बड़ा उछाल आया। स्थानीय लोग अपने घर इन छात्रों को किराए पर देने लगे, लेकिन स्थानीय नागरिकों और अफ्रीकी छात्रों के रिश्ते कभी सहज नहीं हो पाए।

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साल दर साल वक्त बीतने के बाद भी दो संस्कृतियों के बीच की यह ‘दूरी’ कम नहीं हो पाई, बल्कि संदेह और बढ़ता चला गया। सोमवार को परी चौक पर अफ्रीकी छात्रों के खिलाफ हुए प्रदर्शन में यह ‘कटुता’ साफ देखने को मिली। प्रदर्शनकारी सभी अफ्रीकी छात्रों को नाइजीरियन बता रहे थे। वे 16 साल के किशोर मनीष की मौत के मामले में पांच ‘नाइजीरियन’ छात्रों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। लोगों को आरोप था कि मनीष की मौत उस ड्रग्स के ओवरडोज की वजह से हुई, जो अफ्रीकी छात्रों ने उसे दिया था।

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एनएसजी सोसायटी में अपने माता पिता के साथ रहने वाला 12वीं क्लास का छात्र मनीष शुक्रवार को लापता हो गया था और अगले दिन सुबह नशे की हालत में मिला था। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। स्थानीय रहवासियों ने उसी सोसायटी में रहने वाले पांच ‘नाइजीरियन’ छात्रों पर शक जाहिर किया। दरअसल, अफ्रीकियों के प्रति इस इलाके में शुरू से ही अविश्वास का माहौल रहा है। पिछले कुछ सालों में ड्रग्स बेचने और शारीरिक हमले के आरोपों के साथ ही यह संदेह और पुख्ता हुआ है। एक स्थानीय महिला के कपड़े फाड़ने की घटना को भी अफ्रीकियों से ही जोड़ कर देखा गया था।

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हाल के दिनों में हुई कुछ घटनाओं ने तो हिंसक झड़प का रूप भी ले लिया था। अफ्रीकियों के प्रति नफरत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्थानीय लोग उन्हें ‘हब्शी’ कह कर बुलाते हैं। लोग उन पर खुले में शराब पीने, ड्रग्स लेने, तेज आवाज में म्यूजिक बजाने और आक्रामक व्यवहार का आरोप लगाते रहे हैं। पिछले दिनों ग्रेटर नोएडा में हुई रोड रेज की एक घटना को लेकर लोगों ने कुछ अफ्रीकी छात्रों की पिटाई भी की थी। लोगों का आरोप था कि अफ्रीकी छात्रों ने मामूली बात पर एक महिला के भाई की पिटाई की और बीच बचाव करने पर महिला के कपड़े फाड़ दिए।

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इस मामले में दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ कासना पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थई। एक अन्य घटना में एक अफ्रीकी पर एक सेल्ममैन की उंगली काटने का आरोप भी लग चुका है। हालांकि इस घटना को लेकर अफ्रीकन असोसिएशन ऑफ अफ्रीकन स्टूडेंट्स के संयोजक अमर नजीब ने कहा, ‘सच वह नहीं है जो हमेशा मीडिया की तरफ से पेश किया जाता है। जिस अफ्रीकी युवक पर उंगली काटने का आरोप लगा है, वह दरअसल अपना मोबाइल बचाने की कोशिश कर रहा था क्योंकि सेल्समैन ने उसे लौटाने से इनकार कर दिया था।’

उन्होंने कहा कि भाषा और संस्कृति अलग होने की वजह से अफ्रीकियों को भी स्थानीय लोगों के साथ घुलने मिलने में परेशानी होती है। नरभक्षी होने के आरोप पर उमर ने कहा, ‘हम नरभक्षी नहीं है। हम इंसानों को नहीं खाते।’

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