गंगा को जीवित इकाई घोषित करने की याचिका खारिज

इलाहाबाद
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा नदी को विधिक व्यक्ति घोषित करने सहित गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की मांगों को लेकर दाखिल जनहित याचिका को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया है कि गंगा प्रदूषण को लेकर पहले से जनहित याचिका विचाराधीन है। याचीगण भी उसी याचिका में अतिरिक्त हलफनामा दाखिल कर सकते हैं। कोर्ट ने याचिका खारिज नहीं की है इससे इस बात की संभावना बनी हुई है कि, कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई करेगी।

यह टिप्पणी चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने देवेन्द्र तिवारी और कमलेश सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की है। याचिका में मांग की गयी थी कि, गंगा कछार की भूमि गंगा की सम्पत्ति घोषित की जाए और नदी संरक्षण के लिए गंगा-यमुना मैनेजमेंट बोर्ड गठित किया जाए। याची का कहना था कि, नैनीताल हाईकोर्ट ने गंगा को विधिक व्यक्ति घोषित कर दिया है। इसलिए उत्तर प्रदेश में भी गंगा को व्यक्ति घोषित किया जाए।

याची का यह भी कहना था कि, कानपुर चमड़ा उद्योगों को बंद किया जाए तथा कानपुर, इलाहाबाद और वाराणसी में गंगा में गिर रहे नालों को भी बंद किया जाए। गंगा में पांच सौ मीटर तक निर्माण पर रोक जारी रखने तथा एसटीपी को चालू रखने की व्यवस्था की मांग भी की गयी थी। याची का कहना था कि, गंगा में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि पानी नहाने लायक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि, इन मुद्दों को पहले से दाखिल याचिका में सप्लीमेंट्री एफिडेविट के रूप में दाखिल कर सकते हैं।

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