क्लास में अव्वल आने पर इनाम मिला तो फूट-फूट कर रोए थे लोकमान्य तिलक

  नई दिल्ली. 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' का नारा देने वाले बाल गंगाधर तिलक की आज 159वीं जयंती है। देश के इस अमर क्रांतिकारी ने ब्रिटिश शासन के दौरान सबसे पहले पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थी। महाराष्ट्र में गणेशोत्सव से युवाओं को जोड़कर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला। तिलक समाजसेवी, राजनेता, क्रांतिकारी होने के साथ एक पत्रकार भी थे। कई बार अपने अखबार 'केसरी' में आक्रमक लेख लिखने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उन्हें 'लोकमान्य' और हिंदू राष्ट्रवाद का जनक भी कहा जाता है। आइए, जानते हैं उनके जीवन से जुड़ें कुछ रोचक किस्से और उनसे मिलने वाली सीख।     …जब खेल में खुद से हार गए थे तिलक  बाल गंगाधर तिलक एक बार अपने घर पर अकेले बैठे थे। अचानक उन्हें चौपड़ खेलने की इच्छा हुई, लेकिन अकेले चौपड़ कैसे खेलते। इसके लिए उन्होंने घर के खंभे को अपना साथी बनाया। वे दाएं हाथ से खंभे के लिए और बाएं हाथ से अपने लिए पांसे फेंकने लगे। इस तरह खेलते-खेलते वह 2 बार हार गए थे। उनकी दादी दूर से यह सब नजारा देख रही थीं। हंसते हुए बोलीं, ''अरे…

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