क्या अमली जामा पहन पाएंगी सीएम की योजनाएं ?

रामेश्वर दयाल

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम ने यह मानते हुए कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में उन्हें ‘पूर्ण अधिकार’ सौंप दिए हैं, कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं कर उन्हें पूरी करने के लिए अफसरों को सख्त आदेश दिए हैं, लेकिन संविधान विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अभी मामला जस का तस है, इसलिए घोषणाएं पूरी होने पर सवाल लगेंगे। अफसर भी मान रहे हैं कि अभी भी सारे ‘अधिकार’ राजनिवास के पास हैं, अगर उन्होंने ‘आदेश’ दिए तो सीएम की घोषणाओं पर कवायद होगी। वैसे उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सीएम को सलाह देकर पेच फंसा दिया है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट की बैंच के फैसले का इंतजार करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में चार जुलाई को आए जजमेंट के बावजूद अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर तो मसला अटका हुआ है, इसके बावजूद सीएम ने कोर्ट के आदेश को अपने फेवर में मानते हुए कई ऐसी योजनाओं को पूरा करने की दोबारा से घोषणा कर दी, जिस पर उपराज्यपाल ने आपत्तियां जताई थीं। इनमें डोर स्टेप राशन सिस्टम, सीएम तीर्थयात्रा योजना, सीसीटीवी कैमरे आदि की योजनाएं शामिल हैं। सीएम ने अफसरों को सख्त हिदायत दी है कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सरकार के हक में आया है, इसलिए इन्हें पूरा करने में गंभीरता दिखाएं, अन्यथा उनके खिलाफ एक्शन होगा।

इस मसले पर संविधान विशेषज्ञ व लोकसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से सरकार के अधिकारों में कोई बदलाव नहीं आया है, क्योंकि कोर्ट ने हाई कोर्ट के पूर्व आदेशों को रद्द नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी भी दिल्ली के उपराज्यपाल को राष्ट्रपति का प्रतिनिधि और दिल्ली का शासक कहा है, इसलिए सरकार के हाथ अभी भी बंधे हुए है। शर्मा के अनुसार इस मसले पर सरकार को एक बार फिर से कोर्ट में जाना चाहिए और वहां से स्थिति स्पष्ट करवानी चाहिए, वरना उसकी योजनाएं अटक जाएंगी और टकराव और बढ़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट पर दिल्ली सरकार के एक आला अधिकारी का कहना है कि विधि विभाग ने हम तक जो जानकारी पहुंचाई है, उसे दिल्ली सरकार की स्थिति ‘यथावत’ है। उन्होंने कहा कि सीएम ने जो घोषणाएं की है, उन पर एलजी की आपत्तियां है। अगर एलजी इन आपत्तियों को हटा देंगे तो हम इन योजनाओं पर काम शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार हम दिल्ली राजनिवास के अधीन काम कर रहे हैं और यह आदेश केंद्रीय गृह मंत्रालय से पारित होकर राष्ट्रपति भवन से आया हुआ है, इसलिए हमारे ‘हाथ बंधे’ हुए हैं। खास बात यह है कि कल उपराज्यपाल अनिल बैजल ने भी सीएम को पत्र लिखकर कहा है कि उन्हें फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बैंच की होने वाली सुनवाई का इंतजार करना चाहिए, ताकि दिल्ली के अधिकारों पर स्थिति स्पष्ट हो सके। लेकिन इससे पूर्व सीएम ने एलजी को सख्त पत्र लिखकर यह जता दिया है कि राजनिवास और सरकार में टकराव जारी रहेगा।

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