कैंब्रिज एनालिटिका की इंडियन यूनिट ने एक बार भी रिटर्न फाइल नहीं किया

अनुमेहा चतुर्वेदी, नई दिल्ली
कैंब्रिज एनालिटिका की इंडियन यूनिट एससीएल इंडिया ने 16 नवंबर 2011 को अपनी स्थापना के बाद से एक भी फाइनैंशल रिटर्न दाखिल नहीं किया है, जो कंपनी कानून का उल्लंघन है। इस कानून के उल्लंघन पर पेनाल्टी लगाने सहित एकाउंट फ्रीज करने और डायरेक्टर्स को दंडित करने का प्रावधान है। इसके चलते कंपनी के डायरेक्टर्स अमरीश कुमार त्यागी, एलेक्जेंडर जेम्स एशबर्नर निक्स (जिन्हें कैंब्रिज एनालिटिका से सस्पेंड किया जा चुका है), एलेक्जेंडर वेडिंगटन ओक्स और अवनीश कुमार राय को डिस्क्वॉलिफाई कर दिया गया है। कंपनी मामलों के मंत्रालय की राज्यवार अयोग्य डायरेक्टर्स की लिस्ट में इन लोगों के नाम हैं।

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के पास कंपनी का रजिस्ट्रेशन स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशन लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड के तौर पर कराया गया है। कंपनी ने आरओसी को जानकारी दी है कि वह मार्केट रिसर्च, पब्लिक ओपिनियन पोलिंग, लीगल, एकाउंटिंग, बुक कीपिंग और टैक्स, बिजनेस और मैनेजमेंट कंसल्टेंसी जैसे कामकाज करती है। एससीएल इंडिया एससीएल यूके और जेडीयू नेता केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी की कंपनी ओबीआई प्राइवेट लिमिटेड का संयुक्त उपक्रम है। ओबीआई की स्थापना 2010 में हुई थी और इसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में अमरीश त्यागी और शरद त्यागी शामिल हैं। यह खुद को रिसर्च और स्ट्रैटेजी एजेंसी बताती है, जिसे डेटा मैनेजमेंट और बिहेवेरल चेंज कम्युनिकेशंस में महारत हासिल है। कंपनी के क्लाइंट्स में बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू शामिल हैं।

फेसबुक डेटा लीक विवाद के बाद से ओबीआई की वेबसाइट बंद पड़ी है। कंपनी ने 2012 में 9.3 लाख रुपये की आमदनी होने की जानकारी दी थी। एसीएल इंडिया तब लाइमलाइट में आई थी जब विसिलब्लोअर क्रिस्टोफर वायली ने यह खुलासा किया कि एससीएल इंडिया ने 2009 के लोकसभा चुनाव में कई उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार का काम संभाला था। वायली ने दावा किया है कि कंपनी ने यूपी, एमपी, राजस्थान और बिहार में 2003 से 2012 के बीच हुए विधानसभा चुनावों में भी कई क्लाइंट्स का काम संभाला था। उन्होंने अपने डिस्क्लोजर में यह भी कहा था कि एसीएल इंडिया ने 2012 में एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के कोर वोटर की पहचान के लिए यूपी में उसके वास्ते जातिगत जनगणना भी की थी।

कैंब्रिज एनालिटिका को भेजे गए ईमेल का जवाब खबर लिखे जाने तक नहीं मिल पाया था। उसने 27 मार्च को जारी बयान में कहा था कि क्रिस्टोफर वायली ने जब कंपनी छोड़ी तब वह पार्ट टाइम कॉन्ट्रैक्टर थे। कंपनी को उसके बाद से उनके काम के बारे में उसे कोई सीधी जानकारी नहीं है। बयान के मुताबिक, ‘वह कंपनी के साथ एक साल से भी कम समय तक रहे थे। उसके बाद उनसे यह हलफनामा लिया गया कि वह कॉम्पिटिटर फर्म बनाकर कैंब्रिज एनालिटिका के बौद्धिक संपदा का दुरुपयोग नहीं करेंगे। वह कैंब्रिज एनालिटिका के फाउंडर नहीं थे, जैसा कि उन्होंने दावा किया है।’

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