कासगंज पुलिस ने नहीं दी दलित को बारात निकालने की अनुमति

कासगंज
उत्तर प्रदेश के कासगंज में एक दूल्हे को बारात निकालने की अनुमति नहीं मिली। स्थानीय पुलिस का कहना है कि दूल्हा दलित है और उसके बारात निकाले जाने से इलाके में हिंसा हो सकती है। हैरानी की बात यह है कि जिस गांव में बारात जानी है, वहां आज तक दलितों की बारात नहीं निकाली गई।

संजय कुमार जाटव (28) हाथरस के हसायां ब्लॉक में रहते हैं। वह ब्लॉक पंचायत सदस्य भी हैं। उनकी सगाई इसी साल फरवरी में के निजामपुर की रहने वाली शीतल कुमारी से हुई थी। अब शादी 20 अप्रैल को होनी है। जिस इलाके में युवती का घर है, उस इलाके में 40 दलितों के घर हैं जबकि 300 उच्च जाति के लोग रहते हैं।

हाई कोर्ट जाने की तैयारी में संजय
संजय के मुताबिक, शीतल ने उन्हें बताया कि उनके गांव में किसी भी दलित की नहीं निकलती। शीतल से यह बात पता चलने के बाद संजय ने स्थानीय पुलिस से संपर्क कर बारात निकालने की अनुमति मांगी, लेकिन पुलिस ने अनुमति देने से मना कर दिया। पुलिस ने कहा कि वह इलाका उच्च जाति के लोगों का है, उनके बारात निकाले जाने से वहां हिंसा हो सकती है।

अब संजय अपनी शादी में बारात निकालने की अनुमति के लिए जाने की तैयारी कर रहे हैं। संजय ने बताया कि जब उन्हें यह बात पता चली कि निजामपुर गांव में किसी भी दलित की बारात नहीं निकलती तो वह आश्चर्यचकित हो गए।

पुलिस का पक्ष
उन्होंने में शिकायत दर्ज कराई। वहां से स्थानीय पुलिस को मामला भेजा गया। स्थानीय पुलिस ने एक एसआई को जांच के लिए भेजा। जांच में एसआई ने कहा कि निजामपुर गांव में दलित की बारात निकालने के लिए अनुमति नहीं दी जा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो वहां हिंसा हो सकती है। उसके बाद डीएम और एसपी ने भी इस बात को स्वीकार किया।

पुलिस की रिपोर्ट में लिखा है कि निजामपुर गांव में कभी किसी दलित की शादी का समारोह नहीं होता है। अगर इस पुरानी को तोड़ने का प्रयास किया गया तो इलाके की शांति-व्यवस्था भंग हो सकती है।

संजय ने कहा कि उनके ससुरालवालों ने उन्हें बताया कि एक दशक पहले एक दलित परिवार ने गांव में बारात निकालने का प्रयास किया था, जिसके बाद उच्च जाति के लोगों ने उन्हें प्रताड़ित और अपमानित किया।

गांव का हिंसात्मक इतिहास
उन्हें डर है कि उनकी शादी समारोह के दौरान या बाद में उनके को उच्च जाति के लोग प्रताड़ित कर सकते हैं। कासगंज के एसपी पीयूष श्रीवास्तव ने कहा कि अगले साल चुनाव प्रस्तावित है, इसलिए संजय बिना वजह विवाद पैदा कर रहे हैं। उन्हें किसी ने भी बारात निकालने से नहीं रोका है। एसपी ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आता कि बारात पूरे गांव में घुमाने की क्या जरूरत है। संजय सीधे उनकी ससुराल बारात लेकर जाएं।

कासगंज के देवेंद्र सिंह राजपूत ने कहा कि गांव का हिंसात्मक इतिहास रहा है। गणतंत्र दिवस पर भी गांव में विवाद हुआ था। स्थानीय पुलिस उन लोगों को भी रात में 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर बजाने की अनुमति नहीं देती है। संजय कानून कैसे तोड़ सकते हैं? क्या उन्हें देर रात तक शादी के आयोजन में शोर करने की अनुमति दे दी जाए?

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