कानपुर में नाले जैसी हो गई गंगा की धारा

कानपुर
आग उगलते सूरज और पानी की घटती उपलब्धता के बीच यूपी के कानपुर से बुरी खबर है। शहर में गंगा की धारा सिकुड़कर नाले जैसी हो गई है। नरौरा बैराज के अधिकारियों का दावा है कि फिलहाल नदी में रोजाना 1527 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। वाराणसी में मचे हंगामे के बाद पूरी गर्मी नदी में इतना ही पानी रिलीज होगा। हालांकि अहम सवाल यह है कि इतना पानी रिलीज हो रहा है तो नदी की धारा सूख क्यों गई।

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कुछ दिनों पहले में गंगा के जलस्तर में तेज गिरावट आने पर प्रशासन ने सिंचाई विभाग को चिट्ठी भेजी थी। इसके बाद अधिकारियों ने तय किया था कि गंगा में रोज 1527 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा। पहले यह मात्रा 352 क्यूसेक निर्धारित थी। कन्नौज से कानपुर के बीच गंगाजल कहीं काला तो कहीं पीला है।

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जहरीले डिस्चार्ज के बीच पानी की कमी से ही में गंगा में मछलियां मरीं। कानपुर तक लगातार मछलियों के मरने का सिलसिला जारी है। जानकारों का कहना है कि नदी में पानी होता तो गंदगी घुल जाती और जलचरों की जान बचती। कानपुर में गंगा की अपस्ट्रीम पॉइंट बिठूर के नाविक आशीष कश्यप के मुताबिक, पिछले कई दिनों से लगातार मछलियां मर रही हैं। नरौरा बैराज के अधिकारियों के अनुसार कानपुर में बैराज पर पर्याप्त पानी पहुंचने तक इतना डिस्चार्ज चलता रहेगा। शहर के बीच सरसैया घाट पर तो नाविकों ने अपनी नावें उलटी कर दी हैं।

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पेयजल की किल्लत
में भैंरोघाट रॉ वॉटर पंपिंग स्टेशन पर पानी की कमी से एक पंप हाउस ने काम करना बंद कर दिया है। जलकल के महाप्रबंधक आरपीएस सलूजा के अनुसार, अभी स्थिति गंभीर नहीं है। शहर को पानी दिया जा रहा है, लेकिन जलस्तर यूं ही गिरता रहा तो दिक्कत आ सकती है। नए पंप हाउस से पानी खींचा जा रहा है। फिलहाल पानी 355.3 फुट पर स्थिर है।

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