कानपुर में गंगा में बढ़ रही गंदगी की मात्रा

कानपुर
मॉनसून ने विदाई ली है और माघ का पवित्र महीना आने में ज्यादा समय नहीं बचा है, लेकिन सदानीरा गंगा के पानी की क्वॉलिटी के बारे में बुरी खबरें आने लगी हैं। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) की लैब रिपोर्ट के मुताबिक, कानपुर में डाउनस्ट्रीम पर पानी में गंदगी स्टैंडर्ड से डबल हो गई है। पर्यावरयण विशेषज्ञों का कहना है कि मॉनसून के बाद गंगा वास्तविक रूप में लौट रही है। हालात फिर खतरनाक हो रहे हैं।

गंगाजल में गंदगी की स्थिति बताने वाले तत्व BOD (घुलित ऑक्सिजन) की मात्रा अधिकतम 3 मिलीग्राम/लीटर होनी चाहिए। हालांकि ताजा रिपोर्ट में बिठूर में यह 2.4 मिलीग्राम और डाउनस्ट्रीम शेखपुर में यह 5.8 मिलीग्राम मिली है। इससे साफ है कि फिलहाल कानपुर तक पहुंचने पर गंगा का पानी औसत क्वॉलिटी का है, लेकिन शहर की गंदगी पानी को बर्बाद कर रही है। ऐक्टिविस्ट राकेश जायसवाल के अनुसार, मॉनसून खत्म होने के बाद प्रदूषण का असली असर अब दिखेगा।

रामगंगा और काली नदी के तटों पर बने शराब, शुगर और पेपर कारखानों में कई बार इंडस्ट्रियल वेस्ट को स्टोर कर लिया जाता है, जिसे बाद में नदी में रिलीज किया जाता है। यही वजह है कि कई बार कानपुर तक पहुंचते-पहुंचते गंगाजल छूने लायक भी नहीं रहता। कुछ नालों में इंडस्ट्रियल गंदगी भी साधे पहुंचती है। फिलहाल नदी में पानी बढ़ने की तो कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगली गर्मी प्रदूषण और कम पानी के लिहाज से खतरनाक होगी।

दूसरे गंगा ऐक्टिविस्ट रामजी त्रिपाठी के अनुसार, सरकार गंगा की अविरलता पर कुछ नहीं कर रही है। उत्तराखंड में नदी में नए बांध बनना जारी है। इससे नदी में पानी और कम होने लगा है। बिना बांध खोले कुछ नहीं होगा। अगर बिजली बनानी है तो कोसी नदी पर बनाएं, ताकि लोगों को भी बाढ़ से राहत मिल सके।

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