ओबामा प्रशासन के नेट न्यूट्रलिटी कानून को बदला एफसीआई ने

वॉशिंगटन
ट्रंप प्रशासन ने पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन के एक और फैसले को पलट दिया है। ओबामा के बहुचर्चित नेट न्यूट्रलिटी कानून के विरोध में अमेरिका के रेग्युलेट्रर्स ने शुक्रवार को वोट किया। बता दें कि ओबामा प्रशासन के लिए कुछ प्रमुख फैसलों में से एक फैसला था नेट नेट न्यूट्रलिटी। इसके तहत इंटरनेट सेवा को सार्वजनिक सेवाओं की तरह मान लिया गया था। अमेरिका में इस प्रावधान के तहत हर किसी को इंटरनेट की बराबर की सुविधा मिले इसके पक्ष में फेडरल कम्युनिकेशंस कमिशन ने वोट किया था।

फेडरल कम्युनिकेशंस ने इस बार फैसला पलट दिया और 3-2 के पक्ष में मतदान किया। नेट न्यूट्रलिटी को खत्म करने का प्रस्ताव रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से कुछ दिन पहले नियुक्त भारतीय-अमेरिकन चेयरमैन अजित पाई ने दिया था। नेट न्यूट्रलिटी के फैसले का विरोध करने वालों का तर्क है कि इससे उपभोक्ताओं को नुकसान होगा और बड़ी कंपनियों को लाभ मिलेगा।

2015 के नेट न्यूट्रलिटी नियम के अनुसार, यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी कंटेंट को ब्लॉक नहीं किया जाएगा। इंटरनेट को इस आधार पर न बांटा जाए कि पैसा देकर इंटरनेट और मीडिया कंपनियां फास्ट लेन पाएं और बाकी लोगों को मजबूरन स्लो लेन मिले। एफसीसी ने अब इस बदले हुए कानून के पक्ष में बयान देते हुए कहा, ‘2015 के बिना किसी रोकटोक के चलने वाली प्रक्रिया के स्थान पर हम सुगमता से चलने वाली इंटरनेट सुविधा के दौर में लौट रहे हैं, जो व्यवस्था 2015 से पहले थी।’

इस फैसले का विरोध करते हुए डेमोक्रैटिक लीडर नैन्सी पोल्सी ने कहा, ‘इस अतार्किक और बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए कानून के साथ अजित पाई ने साबित कर दिया कि वह ट्रंप प्रशासन के उपभोक्ता विरोधी परंपरा को ही आगे ले जाना चाहते हैं। यह फैसला दुखद और अमेरिका की जनता के हितों के विरोध में है।’

इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।

America News in Hindi, अमेरिका समाचार, Latest America Hindi News, अमेरिका खबरें