ऐप बेस्ड टैक्सियों के सहारे यह है लश्कर का ‘मास्टर प्लान’

नोएडा
लखनऊ में पिछले साल (2017) नवंबर में पकड़े गए लश्कर के संदिग्ध आतंकी शेख अब्दुल नईम और उसके साथियों से पूछताछ में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पूछताछ में पता चला है कि दिल्ली-एनसीआर में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ऐप बेस्ड टैक्सियों में ड्राइवरों को भर्ती करवाकर अपना नेटवर्क तैयार करने की योजना बना रहा है।

लश्कर के औरंगाबाद मॉड्यूल के नेवटर्क की कड़ी में एनआईए ने रुड़की से एक बड़े हवाला ऑपरेटर 22 साल के अब्दुल समद को गिरफ्तार किया है। वह सऊदी अरब में बैठे लश्कर के फाइनैंसर से मिलने वाले पैसे को यहां आतंकी नेटवर्क स्थापित करने के लिए इस्तेमाल कर रहा था। अब्दुल समद सऊदी में रहने वाले अपने भाई के जरिए यह काम कर रहा था।

कई कारोबारियों के शामिल होने की आशंका
एनआईए ने बीते रविवार को मुजफ्फरनगर के दो हवाला कारोबारियों दिनेश गर्ग और आदेश कुमार जैन के घरों और दफ्तरों पर छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान दिनेश गर्ग के पास से 15 लाख रुपये कैश, नोट गिनने की दो मशीनें, पिस्टल समेत अन्य चीजें बरामद हुईं। आदेश कुमार जैन के यहां एनआईए को करीब 32 लाख रुपये कैश, एक चाइनीज पिस्टल और कई देशों की करंसी मिली। इस बरामदगी के आधार पर एनआईए लश्कर के आतंकी फंडिग चैनल को खंगालने में जुटी है, जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई और कारोबारियों के शामिल होने की आशंका है।

जानिए, कौन है महफूज आलम
एनआईए ने बिहार गोपालगंज में नईम को शरण देने वाले महफूज आलम को भी बीते रविवार दिल्ली से गिरफ्तार किया है। नईम वहां पर महफूज द्वारा मुहैया कराए गए परिसर में कोचिंग इंस्टिट्यूट चला रहा था। सूत्रों के अनुसार, यह जगह सऊदी अरब में रहने वाले एक शख्स की है।

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ऐसे बना नेटवर्क
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, मूल रूप से औरंगाबाद का रहने वाला शेख अब्दुल नईम 2005 में पढ़ाई के दौरान अबु जुंदाल, फैयाज कागजी समेत अन्य लश्कर आतंकियों के संपर्क में आया। इसी दौरान वह सऊदी अरब गया था, जहां उसकी मुलाकात पाकिस्तानी लश्कर कमांडर अमजद उर्फ रेहान से हुई। उसने संगठन के लिए हथियार जमा करने की जिम्मेदारी उसे सौंपी।

मिली थी 22 संदिग्ध लोगों की जानकारी
नईम, जुंदाल, फैयाज समेत लश्कर से जुड़े 22 संदिग्ध लोगों की जानकारी उस समय सामने आई थी, जब 8 मई 2006 को महाराष्ट्र एटीएस के हत्थे चढ़े तीन संदिग्धों से पूछताछ के आधार पर 16 एके-47 रायफल, 43 किलो आरडीएक्स, 50 हैंड ग्रेनेड का एक बड़ा जखीरा पकड़ा गया था। इसके बाद जुंदाल, फैयाज और नईम बांग्लादेश भाग गए थे।

चोरी-छिपे उत्तर भारत के कई शहरों में बनाया ठिकाना
जुंदाल और फैयाज पाकिस्तान चले गए, जबकि नईम को बांग्लादेश सीमा पार करवाकर आतंकियों को सुरक्षित कश्मीर पहुंचाने का जिम्मा अमजद ने सौंपा। इस दौरान, वह सीमा पर पश्चिम बंगाल में 2007 में पकड़ा गया। करीब 7 साल बाद महाराष्ट्र में पेशी पर ले जाते समय 2014 में छत्तीसगढ़ में ट्रेन से वह भागने में कामयाब हो गया। इसके बाद वह बांग्लादेश, कश्मीर समेत उत्तर भारत के कई शहरों में चोरी-छिपे रहा। इस दौरान वह बिहार गोपालगंज में धनु राजा के संपर्क में आया था।

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आंतकी हमले के लिए बना रहा था प्लान
नईम ने बताया कि धनु राजा ने ही उसके ठहरने का इंतजाम महफूज आलम के पास कराया था। इसके बाद वह कश्मीर पुलवामा के तौसीफ अहमद मलिक के घर पर भी रुका, जहां वह लश्कर के कई स्थानीय कमांडरों से मिला। यही नहीं, बांदा के मदरसे में पढ़ने वाले तौसीफ ने नईम को यूपी के कई स्थानीय लड़कों से मिलवाया। उसने यह भी बताया कि लश्कर कमांडर और अपने हैंडलर अमजद के इशारे पर वह दिल्ली-एनसीआर में आतंकी हमले के लिए भर्तियां करने की योजना बना रहा था। हालांकि, अपने मंसूबे में कामयाब होने से पहले उसे लखनऊ में एनआईए और यूपी एटीएस ने पकड़ लिया।

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