एयर इंडिया में हिस्सेदारी के लिए किसी ने नहीं लगाई बोली, सरकार को करारा झटका

नई दिल्ली
देश की सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश की योजना खटाई में पड़ती दिख रही है। गुरुवार की डेडलाइन तक एयर इंडिया में विनिवेश के लिए सरकार को एक भी बोली प्राप्त नहीं हुई है। एयर इंडिया के लिए किसी खरीददार का सामने न आना पीएम नरेंद्र मोदी की उस नीति के लिए भी झटके की तरह है, जिसके तहत वह कर्ज में डूबी कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी को कम करना चाहते हैं।

भारत में तेजी से बढ़ रहे एविएशन मार्केट के बावजूद सरकारी एयरलाइन कंपनी की खरीद में किसी कंपनी का रुचि न दिखाना यह साबित करता है कि सरकार को एयर इंडिया के कर्ज से निपटने में कितनी मुश्किल आ रही है। यह खुद पीएम मोदी की आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने वाली छवि के लिए भी झटका है। केंद्र सरकार ने मार्च में एयर इंडिया की 76 पर्सेंट हिस्सेदारी को बेचने का ऐलान किया था। सरकार का मानना था कि इसके जरिए वह 5.1 बिलियन डॉलर कर्ज खत्म कर सकेगी। लेकिन संभावित दावेदारों के खरीद के पीछे हटने से अब यह समस्या और गहरी हो गई है।

हालांकि अब सरकार एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेचने की शर्तों में बदलाव करने पर विचार कर रही है। उड्डयन मंत्रालय के अधिकारी आर.एन. चौबे ने कहा कि अगले दो सप्ताह में सरकार एयर इंडिया की सेल की प्रक्रिया पर दोबारा विचार करेगी। चौबे ने किसी के बोली न लगाने को लेकर कहा, ‘हमारी शर्तों से खरीददार संभवत: सहमत नहीं थे।’ हालांकि सरकार की ओर से 76 पर्सेंट हिस्सेदारी देने का ऑफर अच्छा है। बुधवार को चौबे ने कहा कि सरकार 31 मई की डेडलाइन को बढ़ाने के मूड में नहीं है।

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