एमसीडी उपचुनाव: कांग्रेस ने उतारे दिग्गज

रामेश्वर दयाल

राजधानी में हो रहे निगम उपचुनावों को लेकर कांग्रेस पार्टी ने प्रचार के लिए अपने कुछ आला नेताओं को उतार दिया है। ये नेता इलाकों में जाकर केंद्र और दिल्ली में शासन चलाने वाली कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को बताकर दिल्ली के लोगों से वोट मांग रहे हैं। पार्टी द्वारा इन दिग्गजों के उतारने से जाहिर हो रहा है कि वह उपचुनाव को लेकर खासी गंभीर है। असल मे कांग्रेस राजधानी में अपना खोया आधार पाने के लिए संघर्ष कर रही है।

राजधानी में निगमों के वॉर्ड 272 हैं, लेकिन उपचुनाव मात्र 13 सीटों पर हो रहा है। राजधानी की राजनैतिक फिजां में इस चुनाव का असर दिखाई नहीं दे रहा है, लेकिन कांग्रेस इसको लेकर खासी गंभीरता बरत रही है। इसके लिए चुनाव वाले वॉर्ड में ब्लॉक व जिला स्तर के नेताओं को तो जिम्मेदारी दी ही जा रही है साथ ही पूर्व सांसदों व विधायकों को भी प्रचार में लगाया गया है। अब एक और कदम आगे बढ़ते पार्टी ने अपने कुछ दिग्गजों को भी प्रचार में उतार दिया है और उपचुनाव वाले इलाकों में उनकी तीन-तीन तक सभाएं रखी हैं। दिग्गजों का यह प्रचार कल मंगलवार से शुरू हो चुका है जो परसों शुक्रवार तक जारी रहेगा। उपचुनाव के लिए वोटिंग रविवार 15 मई को है। इस बाबत पार्टी ने प्रचार के अंतिम दिनों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार कल पुरानी दिल्ली इलाके में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शकील अहमद और राजबब्बर ने चुनावी सभाओं को संबोधित किया और लोगों को दिल्ली और देश में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की जानकारी दी। उन्होंने आप सरकार को भी निशाने पर लिया और आरोप लगाया कि उसका काम सिर्फ प्रचार पाना है। यह सरकार लोगों के हित में कोई काम नहीं कर रही है। दिल्ली की जनता बिजली-पानी और महंगाई से त्रस्त है, लेकिन सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। सूत्र बताते हैं कि ये बड़े नेता आज फिर चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। इनमें शकील अहमद वजीरपुर निगम वॉर्ड व राजबब्बर मुनिरका, खिचड़ीपुर, झिलमिल व बल्लीमारान में पार्टी उम्मीदवारों का प्रचार करेंगे। कल भी कुछ बड़े नेता प्रचार में उतर सकते है, जिनमें अशोक गहलोत व अन्य नेता शामिल हैं। प्रदेश अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री अजय माकन तो पूरी जान लगा ही रहे हैं।

असल में राजधानी में अब कांग्रेस अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। उसका कारण है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 विधानसभा सीटों में से एक भी सीट नहीं मिली, जबकि इससे पहले पार्टी ने 15 साल लगातार सरकार बनाकर दिल्ली पर राज किया। पार्टी नेता मान रहे हैं कि निगम उपचुनाव में अगर उसका प्रदर्शन संतोषजनक रहा तो वह पार्टी के लिए संजीवनी का काम करेगा। उसका कारण यह है कि अगले साल मार्च-अप्रैल में तीनों नगर निगमों के चुनाव हैं। पार्टी मान रही है कि अगर उपचुनाव में उसका रिजल्ट पॉजिटिव रहा तो निगम चुनाव में वह बाजी पलट सकती है। वैसे कांग्रेस के लिए एक परेशानी यह है कि जिन13 वॉर्ड में उपचुनाव हो रहे हैं उसमें से किसी भी वॉर्ड पर कांग्रेस का कब्जा नहीं रहा है। लेकिन पार्टी के लिए संतोष की बात यह है कि उसके उम्मीदवारों को कहीं पर भी विरोध नहीं हुआ।

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