आप विधायक बहाली: हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं देगा चुनाव आयोग?

नई दिल्ली
लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के विधायकों की बहाली को चुनाव आयोग शायद ही चुनौती दे। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने इस बारे में पुरानी परिपाटी का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह के मामलों में पहले भी आयोग उच्च अदालतों के फैसलों को चुनौती देने के बजाए इनका पालन करता रहा है। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने इस पर कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की।

रावत ने शुक्रवार को हाई कोर्ट का फैसला सुनाए जाने के बाद सिर्फ इतना ही कहा कि वह इस पर फिलहाल प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर सकते हैं। चुनाव आयोग के फैसले को दरकिनार करते हुए हाई कोर्ट ने फिर से सुनवाई का आदेश दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त रावत ने कहा, ‘आयोग को अभी तक माननीय हाई कोर्ट के फैसले की प्रमाणित प्रति नहीं मिली है। इसलिए वह फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर सकते हैं। फैसले की प्रति मिलने दें, इसके बाद आयोग का सचिवालय आगे की कार्ययोजना पर कोई फैसला करेगा।’ बता दें कि शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग की सिफारिश खारिज करते हुए उन्हें बहाल कर दिया है।

यह है पूरा मामला

दरअसल, 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने संसदीय सचिव को लाभ का पद ठहराते हुए राष्ट्रपति से AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। उसी दिन AAP के कुछ विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था। 21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी।

बाद में AAP विधायकों ने हाई कोर्ट में दायर की गई अपनी पहली याचिका को वापस लेकर नए सिरे से याचिका डाली और अपनी सदस्यता रद्द किए जाने को चुनौती दी। बता दें कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाले अविंद केजरीवाल ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। उनमें से एक विधायक जरनैल सिंह भी थे जिन्होंने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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