आईएमएफ के बाद वर्ल्ड बैंक ने घटाया जीडीपी ग्रोथ का अनुमान

वॉशिंगटन
भारत की जीडीपी ग्रोथ जो 2015 में 8.6 पर्सेंट थी, 2017 में घटकर 7.0 पर्सेंट रह सकती है। उसकी अहम वजह नोटबंदी और जीएसटी के चलते मची उथल-पुथल है। वर्ल्ड बैंक ने इस बात का जिक्र करते हुए यह भी कहा है कि अंदरूनी दिक्कतों के चलते निजी क्षेत्र के निवेश में जो कमी आई है, उससे आगे चलकर इकनॉमिक ग्रोथ और घट सकती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार को 2017 के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान अपने पिछले दो अनुमानों से आधा पर्सेंटेज घटाकर 6.7 पर्सेंट कर दिया जबकि चीन की ग्रोथ 0.1 पर्सेंटेज प्वाइंट ज्यादा यानी 6.8 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया। वर्ल्ड बैंक ने पिछले अनुमान में भारत की जीडीपी ग्रोथ 7.2 पर्सेंट रहने का अनुमान दिया था।

एशियन डिवेलपमेंट बैंक ने भी मौजूदा फिस्कल ईयर के लिए इंडिया की ग्रोथ का अनुमान पहले के 7.4 पर्सेंट से घटाकर 7 पर्सेंट कर दिया है। इसके अलावा आरबीआई ने भी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.3 पर्सेंट से घटाकर 6.7 पर्सेंट कर दिया है। इधर, जानेमाने अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री मोदी की इकनॉमिक अडवाइजरी काउंसिल के मेंबर रथिन रॉय ने इंडिया की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाने के लिए आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि उनका अनुमान अक्सर ‘गलत’ हो जाता है। उन्होंने कहा कि ग्रोथ पर आईएमएफ का अनुमान 80 पर्सेंट और वर्ल्ड बैंक का अनुमान 65 पर्सेंट तक गलत निकलता है।

वर्ल्ड बैंक ने छमाही इकनॉमिक अपडेट साउथ एशिया इकनॉमिक फोकस में कहा है कि नोटबंदी के चलते आर्थिक गतिविधियों में आई रुकावट और जीएसटी के चलते कारोबार जगत में बनी अनिश्चितता से भारत का इकनॉमिक मोमेंटम बिगड़ा है। उसने यह भी कहा है कि निजी और सरकारी निवेश में संतुलन बनाती नीतियों को अपनाकर 2018 तक जीडीपी ग्रोथ को 7.3 पर्सेंट तक लाया जा सकता है। IMF और वर्ल्ड बैंक की सालाना बैठक से पहले जारी रिपोर्ट के मुताबिक, टिकाऊ इकनॉमिक ग्रोथ से सरकार को गरीबी उन्मूलन में मदद मिलती रहेगी लेकिन उसको असंगठित क्षेत्र को फायदा पहुंचानेवाली नीतियों पर खास ध्यान देने की जरूरत है।

वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि भारत के विकास दर में आई गिरावट से साउथ एशिया की आर्थिक वृद्धि दर भी घट गई है। इसके चलते यह क्षेत्र जीडीपी ग्रोथ के मामले में ईस्ट एशिया और पैसिफिक क्षेत्र से पीछे दूसरे नंबर पर आ गया है। उसने कहा, रियल जीडीपी ग्रोथ 2015-16 के 8 पर्सेंट से घटकर 2016-17 में 7.1 पर्सेंट रह गई थी जो मौजूदा फिस्कल के पहले क्वॉर्टर में 5.7 पर्सेंट पर आ गई। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने और नॉर्मल मॉनसून से रूरल डिमांड और एग्री सेक्टर को मिले सपॉर्ट के बाद पब्लिक और प्राइवेट खपत में बढ़ोतरी हुई लेकिन जैसे ही सरकारी निवेश घटना शुरू हुआ, ओवरऑल डिमांड में गिरावट आने लगी।

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