अवैध निर्माणों पर फिर तोड़फोड़ का साया

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली

राजधानी के लाखों अवैध निर्माणों पर एक बार फिर से हथौड़ा चलने की संभावना बनने लगी है। इन निर्माणों को बचाने के लिए केंद्र ने बनाए विशेष कानून ‘एनसीटी स्पेशल लॉ प्रोविजन एक्ट’ को ‘एक्सटेंड’ नहीं किया है। इस कानून की मियाद 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है। प्रदेश बीजेपी ने इस कानून को एक बार फिर से तीन साल और बढ़ाने की गुजारिश केंद्र सरकार से की है।

अवैध निर्माण को तोड़फोड़ से बचाने के लिए लाए गए कानून का नाम एनसीटी स्पेशल लॉ प्रोविजन एक्ट है। इस कानून को उस वक्त लाने का निर्णय लिया गया था जब सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2007 में राजधानी के अवैध निर्माणों खासकर गांवों और अनधिकृत कॉलोनियों में बने ऐसे निर्माणों को तोड़ने का आदेश जारी किया था। इस आदेश के बाद केंद्र सरकार अगले साल लेकर आई थी। जिसके बाद अवैध निर्माणों की तोड़फोड़ और सीलिंग बंद हो गई थी। अब बीजेपी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह इस कानून की अवधि 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ाए और 31 दिसंबर 2017 तक के पूरी दिल्ली के सभी निर्माणों को इसमे शामिल कर दिल्ली सरकार एवं निगमों को इनके नियमितिकरण के काम को पूरा करने के निर्देश दे।

दिल्ली प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर के अनुसार इस बाबत केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी, उपराजयपाल आदि को पत्र लिखा गया है। उनसे गुजारिश की गई है कि दिल्ली की अनाधिकृत कालोनियों, गांवों में 2014 तक के एवं अन्य क्षेत्रों में 2007 तक के निर्माणों को तोड़फोड़ व सीलिंग से बचाने वाले इस स्पेशल कानून को एक बार फिर से तीन साल के लिए बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि इस कानून के मियाद खत्म होने की अवधि नजदीक आ रही है और लाखों दिल्ली वालों की चिंता बढ़ रही है। उनके घर, दुकानों, कमर्शल स्पेश पर एक बार फिर से सीलिंग और तोड़फोड़ की तलवार लटकने लगी है। उन्होंने कहा कि अगर इस कानून की मियाद नहीं बढ़ाई गई तो एमसीडी व अन्य निकायों के अधिकारी तोड़फोड़ अभियान शुरू कर देंगे, जिसमें जनता तो परेशान होगी ही, साथ ही भ्रष्टाचार भी फैलेगा।

उन्होंने कहा कि ऐसे में शहरी विकास मंत्रालय अविलंब एक्ट को तीन साल के लिए बढ़ाने की घोषणा करे ताकि जनता चैन की सांस ले सके। बीजेपी की ओर से मांग की गई है कि केंद्र सरकार इस बार संसद में ऐसा एक्ट पारित करे जिसके रक्षा कवच में दिल्ली के सभी क्षेत्रों में वर्तमान 2017 की दिसंबर तक के सभी उपयोगी निर्माण शामिल हों। बीजेपी का आरोप है कि दिल्ली की सरकार आज की स्थिति के लिए दोषी है, क्योंकि उसने न तो अनाधिकृत कॉलोनियों और अन्य क्षेत्रों के लिये नियमितिकरण नियम बनाने पर ध्यान दिया न केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की दी छूटों का लाभ जनता को दिलवाने की कवायद की।

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