अब सरकारी फाइलों में बंद होगी इंदिरा आवास योजना

अमन शर्मा, नई दिल्ली
इंदिरा गांधी की 100वीं जयंती वाले साल में उनके नाम से चल रही आखिरी योजनाओं से एक- इंदिरा आवास योजना (आईएवाई)- को भी सरकारी फाइलों में बंद कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से आईएवाई को बंद करने के लिए उसके ताजे आंकड़े मांगे हैं। आईएवाई ग्रामीण इलाकों के लिए एक आवास योजना है, जिसे 4 दशक पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपनी मां और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम से शुरू किया था।

1985 में शुरू हुई इस योजना के तहत लाखों की संख्या में आवास बनाए गए। नरेंद्र मोदी सरकार ने 1 अप्रैल 2016 को इस योजना का पुनर्गठन करते हुए इसका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) कर दिया था। हालांकि, सरकारी फाइलों में आईएवाई बंद नहीं हो सकी क्योंकि तब योजना के तहत 30 लाख और आवास बनाए जाने का कार्य लंबित था। मोदी सरकार ने इन आवासों को पीएमएवाई-जी के तहत आवंटित फंड से पूरा करने का फैसला किया था।

केंद्र सरकार ने 15 जून को सभी राज्यों को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या आईएवाई के तहत लंबित आवासों को 31 मार्च 2018 तक बनाया जा चुका है, जिसके बारे में जनवरी में निर्देश जारी किए गए थे। केंद्र ने कहा, ‘आईएवाई खातों के निपटारे और इस योजना को बंद करने को लेकर चर्चा और फैसला लेने के लिए एक मीटिंग बुलाई गई है।’ केंद्र ने उन आवासों की संख्या के बारे में भी जानकारी मांगी है, जिन्हें लाभार्थी की मौत या उसके हमेशा के लिए उस जगह को छोड़कर चले जाने से आईएवाई स्कीम के तहत कभी बनाया नहीं जा सका।

आईएवाई स्कीम को पीएमएवाई-जी स्कीम के इस साल दिसंबर में पूरा होने के लक्ष्य से पहले ही सरकारी फाइलों में बंद कर दिया जाएगा। पीएमवाई-जी स्कीम के तहत मोदी सरकार का लक्ष्य ग्रामीण इलाकों में 1 करोड़ आवास बनाने का है। मोदी ने इस योजना को पूरा करने के लिए मार्च 2019 का लक्ष्य रखा था, जिसे बढ़ाकर अब 3 महीने पहले कर दिया गया है।

यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के आईएवाई योजना से जुड़े एक रिटायर्ड ऑफिसर ने ईटी को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पीएमवाई-जी स्कीम के लॉन्च होने से पहले आईएवाई स्कीम के तहत 2012 से 2016 के बीच करीब 55 लाख ग्रामीण घरों का निर्माण किया गया था। हालांकि, मोदी सरकार ने 2014 में कैग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आईएवाई स्कीम में आवासों का मूल्यांकन नहीं किया जाना, लाभार्थियों के चयन में अपारदर्शिता, आवासों की खराब गुणवत्ता और कमजोर मॉनिटरिंग सिस्टम जैसी खामियों की तरफ इशारा करते हुए पीएमवाई-जी स्कीम के तहत इन्हें दूर करने का वादा किया था।

इससे पहले मोदी सरकार ने 2015 में हिंदी दिवस के दिन इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम से दिए जानेवाले सालाना पुरस्कारों में से उनके नामों को हटाने का आदेश दिया था।

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