अटके पड़े सरकारी प्रॉजेक्ट्स पर काम तेज करने का फरमान

विकास धूत, नई दिल्ली

इंडिया इंक अब भी नए इन्वेस्टमेंट को लेकर सावधानी के मूड में है। ऐसे में सरकार अटके पड़े सरकारी इन्वेस्टमेंट पर फिर से काम शुरू करने की कोशिश कर रही है। सरकार का इरादा नवी मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट जैसे बड़े ग्रीनफील्ड प्रॉजेक्ट्स पर काम तेज करने का है, जो वर्षों से कागजों पर हैं।

इस साल के बजट में पब्लिक इन्वेस्टमेंट के जरिये इकनॉमिक रिकवरी की बात कही गई थी। इसके बाद मोदी सरकार ने कैबिनेट सेक्रेटेरियट को पब्लिक इन्वेस्टमेंट से जुड़े 135 प्रॉजेक्ट्स पर अमल के लिए काम तेज करने को कहा है। ये प्रॉजेक्ट्स करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये के हैं। इनमें 8,000 करोड़ का रत्नागिरि गैस और पावर प्लांट (दाभोल), 100 से ज्यादा हाईवे प्रॉजेक्ट्स, 8 रेलवे लाइंस, दो एयरपोर्ट्स और एनर्जी सेक्टर के कुछ प्रॉजेक्ट्स शामिल हैं। इनमें से कुछ प्रॉजेक्ट जमीन अधिग्रहण की दिक्कत के कारण अटके पड़े हैं।

कैबिनेट सेक्रेटेरियट के प्रॉजेक्ट मॉनिटरिंग ग्रुप को इस तरह की परियोजानओं को नौकरशाही के पचड़े से उबारने को कहा गया है। प्रॉजेक्ट मॉनिटरिंग ग्रुप फिलहाल 10.2 लाख करोड़ के 332 पब्लिक सेक्टर प्रॉजेक्ट्स में बाधाओं का सामना कर रहा है। साथ ही, 10.4 लाख करोड़ के 110 अटके पड़े प्राइवेट सेक्टर के प्रॉजेक्ट्स को भी क्लियरेंस का इंतजार है।

ये तमाम आंकड़े इकनॉमिक सर्वे में फाइनेंस मिनिस्ट्री के उस दावे की पुष्टि करते हैं, जिसमें कहा गया है कि पब्लिक सेक्टर के ज्यादातर प्रॉजेक्ट्स रेगुलेटरी क्लियरेंस और जमीन अधिग्रहण की दिक्कतों से जूझ रहे हैं, जबकि प्राइवेट सेक्टर से जुड़े प्रॉजेक्ट्स के अटकने की वजह प्रमोटर्स की दिलचस्पी में कमी, मार्केट के माहौल में बदलाव आदि हैं।

मामले से वाकिफ एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘यह सभी मंत्रालयों के लिए साफ संकेत है कि अटके पड़े सभी पब्लिक सेक्टर इन्वेस्टमेंट प्रॉजेक्ट्स (चाहे वह छोटा हो या बड़ा) को कैबिनेट सेक्रेटेरियट को भेजा जाना चाहिए।’ यह प्रॉजेक्ट मॉनिटरिंग ग्रुप के रवैये में अहम बदलाव का संकेत है। यह ग्रुप अब तक 1,000 करोड़ से ज्यादा के निवेश या स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंट से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने पर ही काम करता रहा है।

अधिकारी का कहना था, ‘हमें इकनॉमी को पटरी पर लाने की जरूरत है। इसके लिए हर निवेश स्ट्रैटेजिक है। कैबिनेट सेक्रेटेरियट को जो 130 से भी ज्यादा नए प्रॉजेक्ट्स सौंपे गए हैं, उनमें तकरीबन 90 1,000 करोड़ से कम इन्वेस्टमेंट से जुड़े हैं।’ इंडिया इंक ने पिछली यूपीए सरकार ने भी सरकार से 1,000 करोड़ से कम के प्रॉजेक्ट्स को भी प्रॉजेक्ट मॉनिटरिंग ग्रुप को सौंपे जाने का अनुरोध किया था, लेकिन इस प्रस्ताव को उस वक्त मंजूरी नहीं मिली थी। कैबिनेट सेक्रेटेरियट का यह ग्रुप पहले ही 6.90 लाख करोड़ के 200 इन्वेसमेंट्स से जुड़ी बाधाओं को दूर कर चुका है। जुलाई 2013 में यह ग्रुप बनाया गया था।

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Navbharat Times

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