मोदी के खिलाफ कॉमेंट केस में केजरीवाल को राहत
|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति कथित रूप से ‘अपमानजनक और देशद्रोही’ टिप्पणी करने के मामले में अदालत ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को राहत देते हुए उनके खिलाफ दायर मानहानि की याचिका को खारिज कर दिया है। मुख्यमंत्री पर अपने प्रधान सचिव के ऑफिस पर सीबीआई छापे के बाद प्रधानमंत्री के प्रति की गई टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी।
इस संबंध में दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया था कि केजरीवाल ने 15 दिसंबर, 2015 को अपने टि्वटर अकाउंट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘कायर’ और ‘मनोरोगी’ शब्दों का इस्तेमाल किया, जो मानहानि और देशद्रोह जैसा है। लेकिन मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने सीएम के खिलाफ शिकायत वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने राज्य की शांति भंग करने या फिर संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने जैसा कोई काम नहीं किया। जज ने कहा कि इस केस के तथ्यों से यह साफ है कि मुख्यमंत्री द्वारा सीबीआई छापे के बाद की गई अपमानजनक टिप्पणी सीएम की इस घटना से उपजी नाराजगी का नतीजा थी। इसका मकसद राज्य की शांति व्यवस्था भंग करने का नहीं था।
इस मामले में शिकायतकर्ता ऐडवोकेट प्रदीप द्विवेदी ने केजरीवाल की टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ आईपीसी की धारा-124 ए (देशद्रोह) और धारा-500 (मानहानि) के तहत मुकदमा चलाने की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि केजरीवाल के बयान में देशद्रोह की भावना छिपी थी, जिसने प्रधानमंत्री के खिलाफ नफरत और अवमानना का प्रसार किया। मामले में आदेश देते हुए अदालत ने कहा कि केवल कंप्लेंट और इसके साथ लगाई गई अखबारों की रिपोर्टों को पढ़ने के बाद यह साफ है कि सीएम की कथित अपमानजनक टिप्पणी में देशद्रोह जैसी कोई बात नहीं है। अदालत ने साथ ही किसी शख्स द्वारा ऐसे मुकदमे दायर करने पर चिंता जताई, जिससे कि ऐसी ढेरों शिकायतों की बाढ़ आ जाए।
कोर्ट ने कहा कि अगर शिकायतकर्ता की दलीलों को मान लिया जाए तो ऐसी शिकायतों का अंबार लग जाएगा। कोई भी शख्स अपमानजनक टिप्पणी के शिकार शख्स की तरफ से मुकदमा दायर करना शुरू देगा और इससे पीड़ित शख्स द्वारा इसे माफ करने या फिर नजरअंदाज करने का उसका विशेषाधिकार छिन जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि मानहानि के तहत एक शख्स की निजी जिंदगी शामिल होती है और उसे खुद से जुड़े मामलों को मैनेज करने का पूरा अधिकार है। लेकिन अगर उनके सभी समर्थकों, प्रिय लोगों, दोस्तों और व्यापक तौर पर पूरी पब्लिक को इसका अधिकार दे दिया जाए, चूंकि उनके प्रिय नेता के प्रति टिप्पणी से उनकी भावनाएं आहत होती हैं, तो इससे शिकायतों की बाढ़ आ जाएगी।
अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस केस में शिकायतकर्ता को कोई स्पेसिफिक कानूनी नुकसान नहीं पहुंचा है।
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